The Definitive Guide to Shodashi

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Tripura Sundari's variety is not merely a visual illustration but a map to spiritual enlightenment, guiding devotees by means of symbols to grasp deeper cosmic truths.

इस सृष्टि का आधारभूत क्या है और किसमें इसका लय होता है? किस उपाय से यह सामान्य मानव इस संसार रूपी सागर में अपनी इच्छाओं को कामनाओं को पूर्ण कर सकता है?

चक्रेश्या पुर-सुन्दरीति जगति प्रख्यातयासङ्गतं

Darshans and Jagratas are pivotal in fostering a sense of Neighborhood and spiritual solidarity between devotees. Throughout these activities, the collective Electricity and devotion are palpable, as contributors have interaction in numerous types of worship and celebration.

After 11 rosaries on the 1st working day of beginning Together with the Mantra, you could convey down the chanting to at least one rosary every day and chant eleven rosaries within the 11th working day, on the final day of one's chanting.

अष्टारे पुर-सिद्धया विलसितं रोग-प्रणाशे शुभे

षोडशी महाविद्या प्रत्येक प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं। मुख्यतः सुंदरता तथा यौवन से घनिष्ठ सम्बन्ध होने के परिणामस्वरूप मोहित कार्य और यौवन स्थाई रखने हेतु इनकी साधना अति उत्तम मानी जाती हैं। त्रिपुर सुंदरी महाविद्या संपत्ति, समृद्धि दात्री, “श्री शक्ति” के नाम से भी जानी जाती है। इन्हीं देवी की आराधना कर कमला नाम से विख्यात दसवीं महाविद्या धन, सुख तथा समृद्धि की देवी महालक्ष्मी है। षोडशी देवी का घनिष्ठ सम्बन्ध अलौकिक शक्तियों से हैं जोकि समस्त प्रकार की दिव्य, अलौकिक तंत्र तथा मंत्र शक्तियों की देवी अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। तंत्रो में उल्लेखित मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तम्भन इत्यादि जादुई शक्ति षोडशी देवी की कृपा के बिना पूर्ण नहीं होती हैं।- षोडशी महाविद्या

वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।

श्रीचक्रवरसाम्राज्ञी श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरी ।

The Tripurasundari temple in Tripura point out, locally known as Matabari temple, was 1st Established by Maharaja Dhanya Manikya in 1501, although it was possibly a spiritual pilgrimage website for read more many generations prior. This peetham of electric power was at first intended to be described as a temple for Lord Vishnu, but as a result of a revelation which the maharaja experienced in a aspiration, He commissioned and mounted Mata Tripurasundari inside its chamber.

अकचादिटतोन्नद्धपयशाक्षरवर्गिणीम् ।

संक्रान्ति — प्रति मास जब सूर्य एक संक्रान्ति से दूसरी संक्रान्ति में परिवर्तित होता है, वह मुहूर्त श्रेष्ठ है।

॥ ॐ क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं श्रीं ॥

पञ्चब्रह्ममयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥५॥

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